House Wife हैं अगर आपकी पत्नी तो इस स्कीम में करा सकती हैं बड़ा फायदा, समझ लें मुनाफे की बात
जब फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई तय सीमा से ज्यादा होती है, तो उसमें से टीडीएस काट लिया जाता है. लेकिन अगर आप चाहें तो अपनी पत्नी की मदद से इस टैक्स को बचा सकते हैं.
Fixed Deposit एक ऐसी स्कीम है, जिस पर आज भी निवेशकों का भरोसा है. निवेश के तमाम ऑप्शंस होने के बावजूद आज भी एक्सपर्ट्स अपने पोर्टफोलियो में एफडी को शामिल करने की बात जरूर कहते हैं. एफडी पर आपको गारंटीड रिटर्न मिलता है. साथ ही आपको अलग-अलग टेन्योर की एफडी के कई ऑप्शंस मिलते हैं. हालांकि 5 साल से कम टेन्योर वाली एफडी से होने वाली कमाई टैक्सेबल मानी जाती है. जब फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई तय सीमा से ज्यादा होती है, तो उसमें से टीडीएस काट लिया जाता है. लेकिन अगर आप चाहें तो अपनी पत्नी की मदद से इस टैक्स को बचा सकते हैं. समझिए कैसे-
ऐसे बचा सकते हैं टैक्स
नियम के मुताबिक अगर एफडी पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई सालाना 40,000 रुपए से ज्यादा है तो टीडीएस कटता है. अगर आपकी इनकम टैक्स के दायरे में आती है, लेकिन आपकी पत्नी हाउस वाइफ हैं तो आप पत्नी के नाम से एफडी करवाकर टीडीएस भुगतान से बच सकते हैं. हाउस वाइफ की टैक्स की देनदारी नहीं बनती है. वहीं अगर आपकी पत्नी लोअर टैक्स ब्रैकेट में आती हैं, तो भी आप उनके नाम से एफडी करवाकर टीडीएस कटौती को रोक सकते हैं. बस इसके लिए आपकी पत्नी को फॉर्म 15G भरना होगा. आप चाहें तो पत्नी के नाम से जॉइंट एफडी भी करवा सकते हैं, लेकिन इसमें आपको पत्नी को फर्स्ट होल्डर बनाना होगा.
किस काम आता है Form 15G
अगर किसी व्यक्ति की ये इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है और उम्र 60 साल से कम है तो उन्हें टीडीएस कटौती को रोकने के लिए Form 15G भरना होता है. फॉर्म 15G इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंडर सेक्शन 197A के अंडर सब सेक्शन 1और 1(A) के भीतर आने वाला डिक्लेरेशन फॉर्म है. इसके जरिए बैंक को आपकी सालाना इनकम के बारे में पता चलता है. इस फॉर्म के जरिए आप बैंक अगर आपकी आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है, तो बैंक एफडी पर TDS नहीं काटता है.
Form 15H के बारे में भी जानें
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फॉर्म 15H 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए होता है. इसे जमा करके सीनियर सिटीजंस एफडी के ब्याज पर कटने वाले टीडीएस को रोक सकते हैं. लेकिन ये फॉर्म सिर्फ उन्हीं के द्वारा जमा किया जाता है जिनकी टैक्सेबल इनकम शून्य है. फॉर्म को उन सभी बैंक ब्रांच में जमा करना होता है जहां से पैसा जमा किया जा रहा है. अगर जमा के अलावा किसी अन्य सोर्स से इंटरेस्ट इनकम जैसे कि लोन, एडवांस, डिबेंचर, BONDS आदि पर इंटरेस्ट इनकम 5,000 रुपए से ज्यादा है तो फॉर्म 15H जमा करना होगा.
पहले ब्याज का भुगतान होने से पहले 15H फॉर्म सबमिट किया जाना चाहिए. हालांकि ये अनिवार्य नहीं है. लेकिन अगर आप ऐसा करते हैं तो शुरुआत से ही बैंक से टीडीएस कटौती को रोका जा सकता है. कोई कस्टमर अगर इन फॉर्म्स को भरने से चूक जाते हैं तो इनकम टैक्स रिटर्न में आकलन वर्ष में टीडीएस क्लेम कर सकते हैं. ऐसे में आयकर विभाग से रिफंड मिल जाएगा.
11:15 AM IST